📜 आज की रात्री कहानी 📜
🌼 मुसीबतों से कैसे निपटें 🌼
(एक प्रेरणादायक मार्मिक कहानी)
एक गाँव में एक किसान रहता था। उसके पास एक गधा था जो बहुत बूढ़ा हो चुका था। पहले यह गधा खेतों में भारी बोझ उठाने और सामान ढोने में किसान की मदद करता था, लेकिन अब उसकी ताक़त धीरे-धीरे जवाब देने लगी थी। फिर भी किसान उससे बहुत स्नेह करता था और उसे अपने परिवार का हिस्सा मानता था।
एक दिन वह गधा खेत में चरते-चरते अचानक एक पुराने, सूखे कुएं में गिर पड़ा। कुआँ बहुत गहरा तो नहीं था, लेकिन गधे के लिए बाहर निकल पाना असंभव था। जैसे ही वह गिरा, डर के मारे जोर-जोर से रेंकने लगा। उसकी दर्द भरी आवाज़ खेत तक गूंजने लगी।
किसान जब खेत में पहुँचा और देखा कि गधा कुएं में गिरा है, तो वह घबरा गया। उसने तुरंत उसे बाहर निकालने की कई कोशिशें कीं — कभी रस्सी से, कभी पटरे डालकर। लेकिन सब व्यर्थ गया। कुआँ तंग था और गधा भारी।
काफी देर तक प्रयास करने के बाद किसान थक कर बैठ गया। उसने सोचा, "अब ये गधा बूढ़ा भी हो चुका है और इसे निकालना भी नामुमकिन है। शायद यही समय है इसे विदा देने का।" उसने कुएं को ही गधे की कब्र बनाने का निर्णय लिया।
वह गाँव गया और कुछ लोगों को बुला लाया। सबने मिलकर यह तय किया कि कुएं में मिट्टी भर दी जाए, ताकि गधा उसी में दफ्न हो जाए। एक-एक करके वे फावड़ों से मिट्टी कुएं में डालने लगे।
जैसे ही मिट्टी गधे की पीठ पर गिरनी शुरू हुई, वह डर से फिर ज़ोर-ज़ोर से रेंकने लगा। उसे समझ में आ गया कि ऊपर क्या चल रहा है। पहले तो वह घबरा गया, लेकिन कुछ देर बाद वह शांत हो गया। किसान को आश्चर्य हुआ कि गधा अचानक क्यों शांत हो गया?
उसने कुएं में झांककर देखा और जो दृश्य उसने देखा, उसने उसे चौंका दिया।
हर बार जब मिट्टी गधे पर गिरती, वह उसे झटक देता और ऊपर चढ़ जाता। मिट्टी गिरती — गधा उसे झटककर नीचे गिरा देता और उसी मिट्टी पर एक कदम ऊपर चढ़ जाता। यह प्रक्रिया लगातार चलती रही — मिट्टी गिरती रही, गधा झटकता रहा और ऊपर चढ़ता रहा।
धीरे-धीरे कुआँ भरने लगा और कुछ ही देर में गधा कुएं के मुहाने तक पहुँच गया। फिर एक छलांग में वह बाहर निकल आया। सब लोग उसे बाहर आता देख आश्चर्यचकित रह गए। किसान की आंखों में आंसू आ गए — जो गधा वह खो चुका मान रहा था, वह तो अपनी हिम्मत और सूझबूझ से बाहर निकल आया।
🎯 सीख:जीवन में भी कुछ ऐसा ही होता है। समस्याएं हमारे जीवन में मिट्टी की तरह गिरती हैं — कभी आलोचना, कभी असफलता, कभी धोखा, कभी दुख। यदि हम उन्हें झटकना नहीं जानते और घबरा जाते हैं, तो वे हमें ढक देती हैं। लेकिन यदि हम उन्हें झटकते रहें और उन पर खड़े होते जाएं, तो वही समस्याएं हमें ऊपर उठने का रास्ता देती हैं।
हमें बस यह सीखना है कि गिरने के बाद कैसे संभलें और चुनौतियों को कैसे अवसर में बदलें। गधे की तरह हमें भी हर समस्या को झटकना है, हर ठोकर से कुछ सीखना है और आगे बढ़ते जाना है।
सकारात्मक सोच और हिम्मत से हम किसी भी मुसीबत को पार कर सकते हैं। इसलिए जब ज़िंदगी आपको नीचे गिराए — तो उसे झटक दो!
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