🙏🏻 हर हर महादेव 🙏🏻
🌞 ~ वैदिक पंचांग ~ 🌞
🌤️ दिनांक - 16 जुलाई 2025
🌤️ दिन - बुधवार
🌤️ विक्रम संवत - 2082 (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार 2081)
🌤️ शक संवत - 1947
🌤️ अयन - दक्षिणायन
🌤️ ऋतु - वर्षा ऋतु
🌤️ मास - श्रावण (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार आषाढ़)
🌤️ पक्ष - कृष्ण
🌤️ तिथि - षष्ठी रात्रि 09:01 तक तत्पश्चात सप्तमी
🌤️ नक्षत्र - उत्तरभाद्रपद 17 जुलाई प्रात: 04:50 तक तत्पश्चात रेवती
🌤️ योग - शोभन सुबह 11:57 तक तत्पश्चात अतिगण्ड
🌤️ राहुकाल - दोपहर 12:45 से 02:24 तक
🌤️ सूर्योदय - 06:07
🌤️ सूर्यास्त - 07:22
👉 दिशाशूल - उत्तर दिशा में
🚩 व्रत पर्व विवरण - कर्क संक्रांति (पुण्यकाल : सूर्योदय से शाम 05:40 तक), पंचक
💥 विशेष जानकारी:
- षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुँह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण)
- चातुर्मास में तांबे और कांसे के पात्रों से परहेज करें।
- पलाश के पत्तों की पत्तल पर भोजन करना पापनाशक है।
🌷 कर्क-संक्रांति 🌷
➡ 16 जुलाई 2025 बुधवार को कर्क संक्रांति (पुण्यकाल: सूर्योदय से शाम 05:40 तक)
🙏🏻 इसमें किया गया जप, ध्यान, दान व पुण्यकर्म अक्षय फलदायी होता है।
🌷 श्रावण में सूर्य पूजा 🌷
🙏🏻 भगवान शिव की भक्ति का महीना श्रावण (सावन) (उत्तर भारत के अनुसार) शुरू हो चुका है।
🙏🏻 गुजरात एवं महाराष्ट्र में आषाढ़ मास चल रहा है, वहाँ 25 जुलाई से सावन आरंभ होगा।
🙏🏻 शिवपुराण के अनुसार श्रावण मास के रविवार को सूर्य पूजा और शिव पूजा अत्यंत शुभ है।
🌞 सूर्य पूजा विधि:
- सूर्योदय के समय सूर्य को तांबे के लोटे से जल अर्पित करें।
- अर्घ्य में गंगाजल, चावल, लाल फूल, लाल चन्दन मिलाएं।
- मंत्र: ॐ अदित्याय नमः या ॐ घृणि सूर्याय नमः
- शिवलिंग पर घी, शहद, गुड़, लाल चंदन या लाल पुष्प अर्पित करें।
- तांबे के दीपक में घी से दीप जलाएं।
- आदित्यहृदय स्तोत्र और सूर्याष्टक का पाठ करें।
🌞 सूर्याष्टकम (शिवप्रोक्त) 🌞
आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर ।
दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोऽस्तुते ॥१॥
सप्ताश्वरथमारूढं प्रचण्डं कश्यपात्मजम् ।
श्वेतपद्मधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥२॥
लोहितं रथमारूढं सर्वलोकपितामहम् ।
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥३॥
त्रैगुण्यं च महाशूरं ब्रह्मविष्णुमहेश्वरम् ।
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥४॥
बृंहितं तेजःपुञ्जं च वायुमाकाशमेव च ।
प्रभुं च सर्वलोकानां तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥५॥
बन्धूकपुष्पसङ्काशं हारकुण्डलभूषितम् ।
एकचक्रधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥६॥
तं सूर्यं जगत्कर्तारं महातेजःप्रदीपनम् ।
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥७॥
तं सूर्यं जगतां नाथं ज्ञानविज्ञानमोक्षदम् ।
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥८॥
॥ इति श्री शिवप्रोक्तं सूर्याष्टकं सम्पूर्णम् ॥
🌞 पंचक तिथि (जुलाई 2025)
- पंचक आरंभ: 13 जुलाई 2025, रविवार शाम 06:53 बजे
- पंचक समाप्ति: 18 जुलाई 2025, शुक्रवार तड़के 03:39 बजे
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