पांडवों के स्वर्गारोहण की कथा – महाभारत का अंतिम अध्याय

🌼 पांडवों के स्वर्गारोहण की कथा 🌼


महाभारत से सम्बंधित पिछले लेख में हमने आपको बताया था कि कैसे श्रीकृष्ण सहित पूरे यदुवंश का नाश हो जाता है तथा द्वारका नगरी भी समुद्र में डूब जाती है। आज के लेख में हम पांडवों के स्वर्गारोहण की कथा बताएँगे।

श्रीकृष्ण सहित यदुवंशियों के मारे जाने से दुखी पांडव परलोक गमन का निश्चय करते हैं। पांचों पांडव और द्रौपदी स्वर्ग की ओर प्रस्थान करते हैं, लेकिन केवल युधिष्ठिर सशरीर स्वर्ग पहुंचते हैं।

हालांकि एक गलती के कारण उन्हें कुछ समय नरक में भी रहना पड़ता है। इस यात्रा में उनके साथ एक कुत्ता भी होता है, जो बाद में यमराज का रूप धारण करता है।

🔸 वज्र को बनाया इंद्रप्रस्थ का राजा

अर्जुन ने यदुवंश की बची हुई स्त्रियों को लेकर हस्तिनापुर की ओर प्रस्थान किया। मार्ग में लुटेरों ने हमला कर दिया, परंतु अर्जुन अपने दिव्य अस्त्रों को भूल चुके थे और पराजित हो गए।

कुरुक्षेत्र पहुंचकर अर्जुन ने वज्र (श्रीकृष्ण का पौत्र) को इंद्रप्रस्थ का राजा बनाया। महर्षि वेदव्यास के आदेशानुसार, पांडवों ने परलोक गमन की तैयारी की।

🔸 युधिष्ठिर ने परीक्षित को सौंपा हस्तिनापुर

युधिष्ठिर ने परीक्षित का राज्याभिषेक किया और राज्य त्याग कर द्रौपदी सहित पांडव तीर्थयात्रा को निकले। उनके साथ एक कुत्ता भी चलता रहा।

🔸 द्रौपदी से लेकर भीम तक गिरते गए

स्वर्ग की ओर यात्रा में सबसे पहले द्रौपदी गिरीं। फिर सहदेव, नकुल, अर्जुन और अंत में भीम भी गिर पड़े। युधिष्ठिर ने उनके पतन के कारणों को बताया – मोह, अभिमान, लोभ आदि।

🔸 यमराज का रूप धारण किया कुत्ते ने

इंद्र जब युधिष्ठिर को स्वर्ग ले जाने आए, तब उन्होंने कुत्ते को साथ ले चलने की जिद की। यह देखकर कुत्ता यमराज के रूप में प्रकट हुआ और युधिष्ठिर की धर्मनिष्ठा की प्रशंसा की।

🔸 युधिष्ठिर के नरक दर्शन

स्वर्ग पहुंचकर जब युधिष्ठिर ने देखा कि वहां दुर्योधन सिंहासन पर है, तो उन्होंने अपने भाइयों और द्रौपदी के पास जाने की इच्छा जताई। उन्हें नरक मार्ग पर ले जाया गया जहाँ उनके परिजन कष्ट में थे।

जब उन्होंने कहा कि मैं यहीं रहूंगा अगर इससे मेरे भाई सुखी होंगे, तो यह परीक्षा पूरी हुई और सब देवता प्रकट हो गए।

🔸 गंगा स्नान के बाद दिव्य शरीर

देवराज इंद्र के कहने पर युधिष्ठिर ने गंगा स्नान किया और दिव्य शरीर प्राप्त कर स्वर्ग में पहुंचे, जहाँ उन्हें अपने सभी संबंधी, भाई और श्रीकृष्ण के दर्शन हुए।

〰️🙏🏻 यह कथा धर्म, निष्ठा और त्याग का प्रतीक है 🙏🏻〰️

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