सावन में भगवान शिव का जलाभिषेक क्यों किया जाता है? जानें इसके पीछे की पौराणिक कथा और लाभ

🌿 सावन में क्यों करते हैं भोलेनाथ का जलाभिषेक?

🌧️ जानिए इसके पीछे की पौराणिक कथा और लाभ


सावन का महीना और चातुर्मास का अवसर मणिकांचन योग जैसा है। चातुर्मास में श्रावणी मेला का आयोजन यूं ही नहीं होता। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि सावन में ही भगवान शिव को पवित्र गंगाजल चढ़ाने की परंपरा क्यों है?

देवशयनी एकादशी से चातुर्मास की शुरुआत होती है। इस दिन श्रीहरि विष्णु पाताल लोक में योगनिद्रा में चले जाते हैं और भगवान शिव चार महीनों तक सृष्टि के संचालन का कार्य संभालते हैं। इसी काल को चातुर्मास कहा जाता है और सावन इसका पहला पवित्र मास है।

🔱 समुद्र मंथन और शिवजी का विषपान

शास्त्रों के अनुसार, जब समुद्र मंथन हुआ तो उसमें से अमृत के साथ-साथ भयंकर विष हलाहल भी निकला। यह विष इतना प्रचंड था कि पूरे ब्रह्मांड के लिए खतरा बन गया। तभी भगवान शिव ने सृष्टि की रक्षा हेतु उस विष को अपने कंठ में धारण कर लिया।

विष के प्रभाव से शिवजी का कंठ नीला हो गया, और तभी से उन्हें नीलकंठ कहा जाता है। हलाहल की ज्वाला से शिवजी अत्यधिक दग्ध होने लगे। तब शीतलता प्रदान करने के लिए देवताओं और ऋषियों ने उन पर गंगाजल, दूध, शहद आदि से जलाभिषेक किया।

🕉️ इसलिए करते हैं सावन में जलाभिषेक

सावन में भगवान शिव की पूजा विशेष रूप से इसलिए की जाती है क्योंकि यह वह काल है जब शिवजी विषपान के बाद तपस्या की अवस्था में होते हैं। उनकी इस पीड़ा को शांत करने के लिए भक्तगण गंगाजल से उनका अभिषेक करते हैं।

मान्यता है कि जो भक्त श्रद्धा से शिवलिंग पर जलाभिषेक करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

🌸 किन चीजों से अभिषेक करने पर क्या फल मिलता है?

  • गंगाजल: पापनाशक, शुद्धता और शांति
  • दूध: मन और मस्तिष्क की शांति, आरोग्यता, समृद्धि
  • दही: संतान सुख और मानसिक संतुलन
  • घी: रोगमुक्ति और शक्ति
  • शहद: मधुरता और वाणी की शक्ति
  • चीनी या गुड़: सौभाग्य और मिठास
  • अक्षत (चावल): स्थायी लक्ष्मी प्राप्ति

इसलिए सावन का महीना भगवान शिव की आराधना, जलाभिषेक और तपस्या के लिए सबसे श्रेष्ठ माना जाता है।

🙏 हर हर महादेव 🙏

Post a Comment

और नया पुराने