🕉️ *~ वैदिक पंचांग ~* 🕉️
🌤️ *दिनांक - 01 जुलाई 2025*
🌤️ *दिन - मंगलवार*
🌤️ *विक्रत संवत - 2082 (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार 2081)*
🌤️ *शक संवत - 1947*
🌤️ *अयन - दक्षिणायन*
🌤️ *ऋतु - वर्षा ऋतु*
🌤️ *मास - आषाढ*
🌤️ *पक्ष - शुक्ल*
🌤️ *तिथि - षष्ठी सुबह 10:20 तक तत्पश्चात सप्तमी*
🌤️ *नक्षत्र - पूर्वाफाल्गुनी सुबह 08:54 तक तत्पश्चात उत्तराफाल्गुनी*
🌤️ *योग - व्यतिपात शाम 05:19 तक तत्पश्चात वरीयान*
🌤️ *राहुकाल - शाम 04:04 से शाम 05:44 तक*
🌤️ *सूर्योदय - 06:01*
🌤️ *सूर्यास्त - 07:23*
👉 *दिशाशूल - उत्तर दिशा में*
🚩 *व्रत पर्व विवरण - विवस्वत सप्तमी*
💥 *विशेष - षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुँह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
🕉️ *~ वैदिक पंचांग ~* 🕉️
👉🏻 *गुप्त नवरात्रि में महाष्टमी के दिन यह कार्य करने से समृद्धि की वृद्धि*
*दांपत्य जीवन सुखमय व सभी गृह अनुकूल रहते है*⤵️
🌷 *बुधवारी अष्टमी* 🌷
➡ *02 जुलाई 2025 बुधवार को दोपहर 11:58 से 03 जुलाई सूर्योदय तक बुधवारी अष्टमी है ।*
👉🏻 *मंत्र जप एवं शुभ संकल्प हेतु विशेष तिथि*
🙏🏻 *सोमवती अमावस्या, रविवारी सप्तमी, मंगलवारी चतुर्थी, बुधवारी अष्टमी – ये चार तिथियाँ सूर्यग्रहण के बराबर कही गयी हैं।*
🙏🏻 *इनमें किया गया जप-ध्यान, स्नान , दान व श्राद्ध अक्षय होता है। (शिव पुराण, विद्यश्वर संहिताः अध्याय 10)*
🌷 *बुधवायुक्तायां शुक्ला शुक्लाष्टम्यां, परयुता ग्राह्या*
👉🏻 *बुधवारी शुक्लपक्ष अष्टमी बहुत पुण्यशाली होती है और इस दिन किया गया स्नान, दान, धर्म, जप, तप आदि सब सूर्यग्रहण के समान फल देते हैं।*
🌷 *अमावस्या तु सोमेन सप्तमी भानुना सह।*
*चतुर्थी भूमिपुत्रेण सोमपुत्रेण चाष्टमी।*
*चतस्रस्तिथयस्त्वेताः सूर्यग्रहणसन्निभाः॥*
🙏🏻 *शिवपुराण, गरुड़पुराण, अग्निपुराण, भविष्यपुराण, स्कंदपुराण सभी में बुधाष्टमी की महत्ता का वर्णन है।*
🙏🏻 *भविष्यपुराण में श्रीकृष्ण बुधाष्टमी के व्रत की महत्ता बताते हुए कहते हैं कि इसको करने से नरक का मुख नहीं देखना पड़ता।*
🌷 *“बुधाष्टमीव्रतं भूयो ब्रवीमि शृणु पांडव ।*
*येन चीर्णेन नरकं नरः पश्यति न क्वचित् ।।”*
🕉️ *~ वैदिक पंचांग ~* 🕉️
🌷 *जामुन के फायदे* 🌷
🫐 *जामुन अग्निप्रदीपक, पाचक, स्तंभक रोकने वाला तथा वर्षा ऋतु में अनेक रोगों में उपयोगी है |*
🫐 *जामुन में लोहतत्व पर्याप्त मात्रा में होता है |*
🫐 *अत: पिलिया के रोगों में जामुन का सेवन हितकारी है |*
🫐 *जामुन यकृत, तिल्ली और रक्त की अशुद्धि को दूर करता है |*
🫐 *जामुन खाने से रक्त की अशुद्धि दूर हो जाती है तथा लालिमा युक्त बनता है |*
🫐 *जामुन मधुमेह, अतिसार, पथरी, पेचिस, संग्रहणी, यकृत के रोगों और रक्तजन्य विकारों को दूर करता है |*
🫐 *मधुमेही के रोगीयों के लिए जामुन के बीज का चूर्ण सर्वोत्तम है |*
🫐 *वायु प्रकृति वाले जामुन के ऊपर नमक, जीरा पावडर और संतकृपा चूर्ण लगागे जामुन खाये |*
🫐 *मधुमेह के रोगी को नित्य जामुन खाने चाहिए | अच्छे पक्के जामुन सुखाकर बारीक कूटकर बनाया गया चूर्ण प्रतिदिन १ - १ चम्मच सुबह–शाम पानी के साथ सेवन करने से मधुमेह में लाभ होता है |
🫐 *प्रदर रोग कुछ दिनों तक वृक्ष की छाल के काढ़े में शहद अर्थात मधु मिलाकर दिन में दो बार सेवन करने से स्त्रीयों में प्रदर रोग मिट जाता है |*
🫐 *जामुन के बीज को पानी में घिसकर मुँह पर लगाने पर मुहाँसे मिटते है |*
🫐 *जामुन की गुठलीयों को पीसकर शहद में मिलाकर गोलियाँ बना ले| २ - २ गोली नित्य चार बार चुसो| इससे बैठा गला खुल जाता है, आवाज का भारीपन ठीक हो जाता है |*
🫐 *जामुन की गुठली का ४ – ५ ग्राम चूर्ण सुबह-शाम पानी के साथ लेने से स्वप्नदोष ठीक होता है |*
🫐 *जामुन के पेड़ की पत्तियाँ ज्यादा न पकी हुई, न ज्यादा मुलायम लेकर पीस ले उसमे जरा-सा सेंधा नमक मिलाकर उसकी गोलियाँ बना ले १ – १ गोली सुबह–शाम लेने से कैसे भी तेज दस्त हो बंद हो जाते है |*
🫐 *जामुन भूख बढ़ाने वाले है | वर्षा ऋतु को उदर रोगों को ठीक रखने में मदद करेंगे | रक्त की शुद्धि और चेहरे पर लालीमा लानेवाले है |*
💥 *सावधानी – जामुन सदा भोजन के बाद ही खाना चाहिये | भूखे पेट जामुन बिलकुल न खाये | जामुन खाने के बाद तत्काल दूध न पीये |*
🕉️ ~ *वैदिक पंचांग* ~ 🕉️
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