♨️ आज का प्रेरक प्रसंग ♨️
✨ *!! बड़प्पन का मापदण्ड !!* ✨
एक राजा थे। वन-विहार को निकले। रास्ते में प्यास लगी। नजर दौड़ाई एक अन्धे की झोपड़ी दिखी। उसमें जल भरा घड़ा दूर से ही दिख रहा था। राजा ने सिपाही को भेजा और एक लोटा जल माँग लाने के लिए कहा।
सिपाही वहाँ पहुँचा और बोला- "ऐ अन्धे, एक लोटा पानी दे दे।"
अन्धा अकड़ू था। उसने तुरन्त कहा- "चल-चल, तेरे जैसे सिपाहियों से मैं नहीं डरता। पानी तुझे नहीं दूँगा।"
सिपाही निराश लौट आया। इसके बाद सेनापति को भेजा गया। उसने कहा- "अन्धे! पैसा मिलेगा, पानी दे।"
अन्धा फिर बोला- "पहले वाले का यह सरदार मालूम पड़ता है। फिर भी चुपड़ी बातें बना कर दबाव डालता है। जा-जा, यहाँ से पानी नहीं मिलेगा।"
राजा स्वयं चल पड़े। समीप पहुँचकर वृद्ध को नमस्कार किया और कहा- "प्यास से गला सूख रहा है। एक लोटा जल दे सकें तो बड़ी कृपा होगी।"
अंधे ने सत्कारपूर्वक पास बिठाया और कहा- "आप जैसे श्रेष्ठ जनों का राजा जैसा आदर है। जल तो क्या, मेरा शरीर भी स्वागत में हाजिर है। कोई और सेवा हो तो बतायें।"
राजा ने जल पिया और पूछा- "आपको तो दिखाई नहीं देता, फिर कैसे पहचाना कि सिपाही, सेनापति और राजा कौन है?"
अंधे ने उत्तर दिया: "वाणी के व्यवहार से हर व्यक्ति के वास्तविक स्तर का पता चल जाता है।"
🌼 *शिक्षा:*
सदैव मीठा वचन बोलना चाहिए, इससे सभी जगह आदर, प्यार, स्नेह प्राप्त होता है।
✨ "सदैव प्रसन्न रहिये - जो प्राप्त है, पर्याप्त है।"
✨ "जिसका मन मस्त है - उसके पास समस्त है।।"
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