♨️ आज का प्रेरक प्रसंग ♨️
!! विद्या का घमंड !!
गंगा पार होने के लिए कई लोग एक नौका में बैठे, धीरे-धीरे नौका सवारियों के साथ सामने वाले किनारे की ओर बढ़ रही थी, मनमोहन भी उसमें सवार थे।
मनमोहन जी ने नाविक से पूछा – “क्या तुमने भूगोल पढ़ी है?”
भोला-भाला नाविक बोला – “भूगोल क्या है इसका मुझे कुछ पता नहीं।”
मनमोहन जी ने शिक्षा का प्रदर्शन करते हुए कहा – “तुम्हारी पाव भर जिंदगी पानी में गई।”
फिर दूसरा प्रश्न किया – “क्या इतिहास जानते हो? महारानी लक्ष्मीबाई कब और कहाँ हुई तथा उन्होंने कैसे लड़ाई की?”
नाविक ने अनभिज्ञता जाहिर की, तो मनमोहन जी बोले – “ये भी नहीं जानते? तुम्हारी तो आधी जिंदगी पानी में गई।”
फिर तीसरा प्रश्न पूछा – “महाभारत का भीष्म-नाविक संवाद या रामायण का केवट और भगवान श्रीराम का संवाद जानते हो?”
नाविक ने इशारे में ना कहा। मनमोहन जी मुस्कुराते हुए बोले – “तुम्हारी तो पौनी जिंदगी पानी में गई।”
तभी अचानक गंगा में प्रवाह तीव्र हुआ। नाविक ने चेतावनी दी और पूछा – “क्या आपको तैरना आता है?”
मनमोहन जी बोले – “मुझे तो तैरना नहीं आता।”
नाविक बोला – “तो समझो आपकी पूरी जिंदगी पानी में गई।”
कुछ ही देर में नौका पलट गई और मनमोहन जी बह गए।
🌟 शिक्षा:
विद्या वाद-विवाद के लिए नहीं है, ना ही किसी को नीचा दिखाने के लिए। ज्ञान का उपयोग दूसरों के उत्थान और समाज के कल्याण के लिए होना चाहिए।
विद्या जब विनय के साथ आती है तभी शोभित होती है।
संस्कृत में कहा गया है – ‘विद्या विनयेन शोभते’
“सदैव प्रसन्न रहिये - जो प्राप्त है, पर्याप्त है।
जिसका मन मस्त है - उसके पास समस्त है।”
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